उत्तराखंड के जड़ी-बूटी से सम्बंधित तथ्य
➡️➡️ जड़ी -बूटी संग्रहण ,संरक्षण एवं शोध ➡️➡️
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उत्तराखंड में सवर्प्रथम बैलाडोना की खेती शुरू की गई ।
शुरू हुई -➡️1903 में।।
1972 में जड़ी-बूटियों के संग्रहण का कार्य सहकारिता विभाग के जड़ी बूटी विकास योजना के तहत शुरू किया गया ।
1980 में जड़ी बूटी के संरक्षण के लिए जिलेवार भेषज सहकारी संघ की स्थापना की गई।।
वन प्रबंधन अधिनियम 1982 के तहत राज्य में औषधि पदार्थों का संग्रहण किया जाता है।इस अधिनियम के तहत 144 जड़ी बूटियों को प्रतिबंधित किया गया है।।
कुटकी-➖ पिकोराइला कुर्वा
जटामासी➖➡️नार्डोस्टेचिस
वन ककड़ी➖➡️ पोडोफाइलम हैक्जेंडम
उत्तराखंड को हर्बल स्टेट घोषित किया गया है।
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जड़ी बूटी के विकास के लिए
सगंध पादप केंद्र की स्थापना➖➡️ सेलाकुई में
जड़ी बूटी मंडी ➖3
ऋषिकेश (हर्बल गार्डन की स्थापना)
2.टनकपुर
3.रामनगर
प्रमुख संस्थान जड़ी बूटी संग्रहण के लिए
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इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड
➖➖➡️ऋषिकेश देहरादून में
अल्मोड़ा में स्थित संस्थान
1.कोऑपरेटिव ड्रग फैक्ट्री ➡️ रानीखेत
2.इंडियन मेडिसिन फार्मास्युटिकल लिमिटेड➡️मोहान
3.इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फ़ॉर ड्रग रिसर्च ➡️ताड़ीखेत
जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान
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1. उच्चस्थलीय पौध शोध संस्थान➖➡️ श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)
2.रसायन विभाग एवं वानस्पतिक विभाग
जड़ी बूटी शोध विकास संस्थान ➡️ गोपेश्वर(चमोली)
सीमैप(औषधीय एवं सुगंधित पौध संस्थान➡️पंतनगर
जी०बी पंत हिमालय पयावरणीय एवं विकास संस्थान ➡️ अल्मोड़ा
2.रसायन विभाग एवं वानस्पतिक विभाग➖➡️ श्रीनगर
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